दोस्तों, एक से बढकर एक शायरी लाया हूँ, रात भर बैठ के लिखता रहा, कमेन्ट में जय हिन्द लिख देना
15 August Shayari
15 अगस्त पर वाह वाह शायरी
मौत को छू रही है साँसे मगर
एक शिकन तक न माथे पे आई है
जोश कुर्बान होने का इस कदर
झूम के लहराई उनकी परछाई है
जो जीता हो देश के लिए उसे गम नहीं होता है मौत का, ये तो बुजदिलो के दिलो का डर है, बहादुर तो देश पे फ़ना हुआ करते है, और आज के इस पावन दिन पे उन्ही शहीदों और रणवीरो को श्रद्धांजलि के रूप में ये शायरी पेश करता हूँ की
मेरे देश की मिट्टी माथे पे, जो लाल लगाकर जाता है
वो डरता नहीं रणभूमि में, महाकाल का वर वो पाता है
चौड़ी छाती पे सौ सौ वार, एक झटके जो खाता है
नहीं हिंद सा वीर जहां में कोई, वो यादगार बन जाता है
और इसी जिन्दादिली को सलाम करने को जी चाहता है, मेरे दोस्तों क्योकि ये वो ही भारत है जो सरताज था इस दुनियां का, जहाँ कोहिनूर थे भगत सिंह, सुभाषचंद्र और राणा शिवा जैसे
मेरा मंदिर, मस्जिद गुरुद्वारा, सीमा का पहरेदारा है
मैंने यज्ञ हवन न किये मगर, चरणों को तेरे पखारा है
मैंने देखा नहीं रब को मगर, दरस तुझमे वो पाया है
जो जान बचाए दूजे की, उसमे ही रब तो समाया है
और हो भी क्यों नहीं क्योकि इनके आगे अगर श्रद्धा से सर न झुके तो वो सर किस काम का, दोस्तों कमेंट में जय हिन्द लिखकर चैनल सब्सक्राइब कर लेना
मौत से मिलना, हँसना और, बातें करना जारी है
क्या होगा कल किसे खबर, आज में जीना जारी है
बस आवाज तू एक लगा, माँ भारती तेरे चरणों में
एक नहीं एक लाख सर, कट जाने की तयारी है
जय हिन्द.
शेर की दहाड़ जैसी शायरी बोले १५ अगस्त पर
तनी है भृकुटी निगाहें गडी है
आज युद्ध करने की घडी है
मरने को बस एक पल मिला है
जीने को तो सारी उम्र पड़ी है
जय हिन्द वन्दे मातरम और स्वतंत्रता दिवस की ढेरो बधाइयो के साथ, बात करूँगा लेकिन पहले देशभक्तों को याद करूँगा की
फैला दो बाहें राहों में, फूल बिछा दो
घर के द्वार तोरण हार, सजा दो
मिला है हमें भी वक्त इतिहास में जीने का
इस पल को यादगार करने, जी जान लगा दो
ये आज का दिन बहुत ही कीमती है, इसे ऐसे मनाओ की सदियों तक कोई हमें दबाने की न सोचे, हमें कुचलने की न सोचे
गूंजा दो धरती गगन को यारों
नारे ऐसे आज लगा लो
देशप्रेम का समां बंधा है आओ
वन्दे मातरम गा लो
और हमारा जीवन तभी सार्थक बनेगा जब हम ये करेंगे की
मन के कोने कोने में बस, एक ही आस जगा लेना
रोम रोम में तुम अपने अब, भारत को ही बसा लेना
ये देश नहीं ये धरती नहीं, ये माता है ये जननी है
अपने अंतर्मन में यारो, तुम ऐसा भाव जगा लेना
धुआंधार शायरी 15 august
धरती का ये टुकड़ा नहीं, ये मेरे जिगर का छल्ला है
हिन्दू मुस्लिम सिख यही, ये हिन्दुस्तानी मौहल्ला है
है धर्म अलग भाषा जुदा, वेशभूषा भी निराली है
एक वतन एक जान है, नानक, राम, कही अल्ला है
ये एकता और भाई चारा ये अपनापन ये यारियां, जो हमें भारतवासी बनाती है, ये और कहाँ देखने को मिलता है
मेरे देश के पहरेदारो में, मजहब की जंग नहीं होती
खून एक का जब बहे, दूजे की आँख भी है रोती
कदम से कदम मिला वो, भारत की रक्षा करते है
देशप्रेम के उस पाले में, नफरत की बात नहीं होती
तो हम क्यों नफरते फैला रहे है, क्यों जहर घोल रहे है, और क्यों इतने मतलबी बन गए है की हमें अपने स्वार्थ के सिवा कुछ दिखाई ही नहीं देता.
स्वार्थ न साधो अपने हित का, न भूमि शमशान बने
आओ मिलकर साथ चले, हम भी थोडा इंसान बने
नस्लों को हम दे, ये शिक्षा, मानवता ही मजहब बने
सबका साथ सबका विकास, तब भारत महान बने