Last updated on October 30th, 2024 at 10:28 am
दोस्तों नमस्कार आज आपके लिए बेहद ही खास दिवाली एंकरिंग स्क्रिप्ट लेकर हाजिर हूँ, ये Diwali Anchoring Script आपके लिए इस बार इस Deepavali में बहुत ही मददगार साबित होगी और आप इस स्क्रिप्ट के जरिए मंच पर एक शानदार एंकरिंग कर सकते है, इसमें आपको स्टेप बाय स्टेप पूरी जानकारी के साथ ही शायरी, कविता, भजन और आरती भी दी गई है जो आपके मंच संचालन को और नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी.
मैंने हमेशा कोशिश की है की आपके लिए हमेशा कुछ नया और बेहतरीन लेकर आऊँ और आज भी इसी प्रयास के तहत ये दिवाली एंकरिंग स्क्रिप्ट लेकर आया हूँ, जो आपको बेहद पसंद आएगी.
दिवाली पार्टी एंकरिंग स्क्रिप्ट
(यहाँ पर एंकर हाथ में माइक लिए हुए स्टेज पर आता है और मुस्कुराते हुए हाथ हिलाकर सभी श्रोताओ को खुद की ओर आकर्षित करता है और फिर स्टेज के बीचो बिच पहुंचकर बोलना शुरू करता है)
नमस्कार, आप सभी को मेरी और से दिवाली की हार्दिक शुभकामनाए, आज का ये दिन और ये पल हम सबके लिए खास है क्योकि आज के दिन का महिमा मंडन किया नहीं जा सकता, आज के दिन की बहुत विशेषताए है, कहीं हमारे भगवान श्री राम जी से जुड़ा है ये त्यौहार तो कहीं माता लक्ष्मी के श्री चरणों में भी वंदन करने का अवसर देता है आज का दिन.
ये झिलमिलाते दीपो की लड़ियाँ कहती है
अँधेरा मिटाओ दो ये फूलझड़ियां कहती है
रोशन हो हर महल और हर मीनार मगर
झोपड़ियाँ भी हो रोशन मन की कड़ियाँ कहती है
दिल से दिल मिले तभी दिवाली कहलाती है
वरना उजालो की बौछार तो रोज आती है
सच्ची दिवाली है हर घर में हो उजाला
ये रात साल में सिर्फ एक बार आती है
तो इस रौशनी से भरपूर दिवाली की इस रात को आओ रोशन करें अपने प्रोग्राम को और भी आगे बढ़ाते हुए, लेकिन अभी कुछ वक्त है हमारे मेहमानों के आने में तो चलो तब तक आज के बारे में कुछ और बात की जाए.
दिवाली सिर्फ एक त्यौहार ही नहीं है बल्कि ये अन्धकार को मिटाकर उसमे नई रोशनी भरने का प्रतिक है, और जिस तरह से हम अपने घरो को दीपो से सजाते है वैसे ही हमें अपने दिलो को भी सजाना चाहिए.
बाहर रौशनी भरपूर है कुछ रौशनी भीतर भी होनी चाहिए
दीये जलाओ लाख मगर अन्दर भी एक ज्योत होनी चाहिए
हमें अपने दिलों में भी प्रेम, सद्भाव, और उत्साह का दीप जलाना चाहिए। आज का यह समारोह हमें एकजुट करता है, हमें यह याद दिलाता है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें हों, अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटा सा दीपक भी उसे दूर कर सकता है, यह मंच केवल एक प्रोग्राम का नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता का प्रतीक है।
आज का यह कार्यक्रम विशेष रूप से उन सबके लिए समर्पित है, जो अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस शुभ अवसर को मनाने के लिए यहाँ उपस्थित हैं। हम सभी जानते हैं कि दिवाली का पर्व सिर्फ दीप जलाने तक सीमित नहीं है, यह पर्व है एक नई शुरुआत का, एक नई उम्मीद का। इस समय हम सभी को इस पर्व का संदेश अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए।
इस शुभ अवसर पर, मैं सभी का आभार व्यक्त करना चाहूंगा साथ ही आप सभी लोगो का जो यहाँ उपस्थित हैं, और हमारे माननीय अतिथिगण, और वे सभी लोग जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अपनी मेहनत और समर्पण दिया है। बिना आप सभी के सहयोग के, यह आयोजन संभव नहीं होता।
अब, आप इस सुंदर शाम का भरपूर आनंद लें क्योकि हम आपके लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति लेकर आए हैं, जो आपके मन को प्रसन्न करेंगे और इस दिवाली को आपके जीवन में यादगार बनाएगी तो आइए, इस रोशनी के पर्व को हम एक साथ मनाएं, और अपने जीवन में एक नई उम्मीद और उत्साह का दीप जलाएं।
दीप जलें, खुशियाँ मिलें, सबके दिलों में प्रेम बसे
हर मन हो खुशहाल, हर घर में हर चेहरा हँसे
आप सभी को फिर से एक बार शुभ दिवाली और इसीके साथ हम अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की और अग्रसर हो रहे है, आज की इस भव्यतम और महान रात को हमने दियो से रोशन करके दिन सा उजाला कर दिया है लेकिन मेरे नन्हे मुन्ने साथियो को भी ये बताने का वक्त है की हम दिवाली क्यों मनाते है.
तो मेरे प्यारे साथियो, आप भगवान राम जी को तो जानते होंगे लेकिन आज का दिन भी उनसे ही जुड़ा है ये आप शायद नहीं जानते होंगे, तो बच्चो आज के दिन का महत्तव श्री राम से जुड़ा है, हमारे पुराणों के अनुसार, त्रेता युग में भगवान राम ने 14 वर्षों के वनवास और रावण के अत्याचार को समाप्त कर बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त की थी।
जब भगवान राम माता सीता और अपने अनुज लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, तो पूरे अयोध्या में उल्लास और आनंद की लहर दौड़ गई। अयोध्यावासियों ने घर-घर में दीप जलाकर श्री राम जी की वापसी का स्वागत किया था, हर साल हम अंधकार को मिटाने के लिए, राम की उस विजयी यात्रा की याद में दीप जलाते हैं।
यह हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ हमारे जीवन में क्यों न आएं, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने से हम आखिर में विजयी होते हैं। भगवान राम का जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि जब हम अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं और जीवन के सही मार्ग पर चलते हैं, तो हमें अंधकार के बाद प्रकाश अवश्य प्राप्त होता है।
स्वागत है हे राम तुम्हारा, मन के तम को आज मिटाओ
अंतर्मन के भाव सही हो, ऐसी ह्रदय में ज्योत जलाओ
मेरे साथियो बहुत ही मजा आ रहा होगा आपको क्योकि ऐसा मौका हर किसी को नहीं मिलता है, इतने लोगो के साथ बैठना और साथ साथ खुशियों में शामिल होना बहुत ही सौभाग्य की बात होती है,
अकेले चलने से मंजिल मिल भी जाए तो मजा कहाँ है
कुछ पाकर किसी को न बताए तो फिर मजा कहाँ है
और आज इस रात सी भव्यता आपने देखि न होगी कहीं
अब अगर आप ताली न बजाए तो मजा कहाँ हैं
वाह वाह वाह बहुत खूब दिल खुश कर दियां आपकी तालियों ने, आज की रात श्री राम जी से सम्बन्ध रखती है तो माता लक्ष्मी जो धन और समृद्धि की देवी हैं, दिवाली के दिन विशेष रूप से पूजी जाती हैं, हर घर के द्दीवार पे आज दीप जलाते हैं ताकि देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जा सके।
यह दिन हमें यह सिखाता है कि संपत्ति और धन केवल भौतिक संसाधन नहीं हैं, बल्कि ये हमारे जीवन को सुचारू और सफल बनाने का साधन भी हैं। लक्ष्मी पूजा के माध्यम से हम अपनी समृद्धि और खुशहाली के लिए देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं
बहुत से किस्से है दिवाली से जुड़े लेकिन दिवाली का असली संदेश है अन्धकार से प्रकाश की और बढ़ना, यह संदेश न केवल धार्मिक है, बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार हम अपने घरों को दीपों से सजाते हैं, वैसे ही हमें अपने जीवन के अंधकार को भी मिटाने की कोशिश करनी चाहिए।
यह अंधकार हमारी नकारात्मक भावनाओं, अव्यवस्था, और जीवन की समस्याओं के रूप में हो सकता है। दीप जलाकर हम यह संकल्प लेते हैं कि हम अपने जीवन में सकारात्मकता, प्रेम, और उम्मीद को स्थान देंगे, और अज्ञानता, भय, और असत्य को दूर करेंगे।
दिवाली हमें यह भी सिखाती है कि बुराई पर अच्छाई की विजय हमेशा संभव है, चाहे वह रावण के अहंकार की पराजय हो, या हमारे जीवन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता। रावण का अंत यह दर्शाता है कि जब व्यक्ति अपने अहंकार, लालच, और अधर्म के रास्ते पर चलता है, तो उसका पतन अवश्य होता है, इसलिए आज की इस रात हमें भी प्रण लेना चाहिए की हम सदैव सत्य, नैतिकता और धर्म के रस्ते पर आगे बढ़ेंगे.
आज आपका समय कुछ ज्यादा जरुर ले रहा हूँ लेकिन हर बात कहनी भी जरुरी है ऐसा न हो की आप आए ताली बजाई और चले गए, हमारे भारत के भविष्य जो यहाँ बैठे है उन्हें ये ज्ञात होना चाहिए की हम कोई भी कार्य कर रहे है या कोई दिन मना रहे है तो क्यों, और इसलिए आपके इस कीमती समय में कुछ इतिहास के झरोंखो में झाँकने के लिए प्रेरित कर रहा हूँ.
दिवाली कोई व्यक्तिगत पर्व या उत्सव नहीं है बल्कि समाज को एक साथ लाने वाला महान पर्व है, आज के दिन हम सभी जाति, धर्म और भाषाओ की सीमाओं से परे जाकर एक साथ दिवाली मनाते है, ये पर्व हमें ये सिखाता है की जब हम सभी एकजुट होते है तब ही हम सच्चे अर्थो में प्रगति और समृद्धि प्राप्त कर सकते है, दीपो की ये कतारे जो यहाँ जगमगा रही है ये हमारे समाज के विभिन्न हिस्सों का प्रतिक है जो एक साथ मिलकर एक रौशनी से भरपूर सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करती है.
साथ ही दीपावली हमारी आत्मा को जगाने का भी पर्व है, अगर हम ये समझ ले की वास्तविक दिवाली तब होती है जब हम अपने मन के अंधकारो को दूर करके भीतर के प्रकाश को प्रज्वलित करें.
बाहर उजाला बहुत, मन में अँधेरा घना
झूठ और फरेब से, क्यों ये जीवन बना
सत्य के साथ में, करुणा की राह में
हाथ थामे चले, ये है सपना बुना
दिवाली दीप प्रज्वलन समारोह
और दोस्तों अब वो घडी आ गई है जिसका इन्तजार सभी को था, अब हम दीप प्रज्वलन करके विधिवत रूप से इस कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे, इस पावन बेला में दीप प्रज्वलन कर हम दिवाली के इस कार्यक्रम की शुरुआत करने से पहले ये इस परंपरा को आगे बढ़ाएंगे, एक दिया जो अन्धकार को चीर कर हर और उजाला फैला देता है, उस दीपक की महिमा अपरम्पार है.
अब मैं हमारे मुख्य अतिथि (जो भी नाम हो) महोदय से अनुरोध करूँगा की वे मंच पर आए और इस कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से करें, जोरदार तालियों से स्वागत कीजिये.
मैं यहाँ उपस्थित सभी मान्यवरों और दर्शकों से अनुरोध करता हूँ कि आप सभी इस दीप प्रज्वलन के माध्यम से दिवाली के इस पावन पर्व का आशीर्वाद प्राप्त करें और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। यह दीप जलाकर हम केवल प्रकाश को ही नहीं, बल्कि एक बेहतर, समृद्ध और खुशहाल भविष्य की कामना भी करते हैं
(इस दौरान, मंच पर संगीत या भक्ति गीत बजाया जा सकता है, जिससे माहौल और भी भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हो जाएगा।)
अब जब हमारा दीप प्रज्वलित हो गया है, आइए इसके पीछे छिपे गहरे सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक महत्व को समझें। दीप प्रज्वलन भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि जीवन के हर पहलू में इसका गहरा प्रभाव है
दीप का प्रकाश हमें यह सिखाता है कि चाहे अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटा सा दीपक भी उसे मिटा सकता है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन की चुनौतियों और परेशानियों को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ें और अपने भीतर की क्षमताओं को पहचानें।
जिस प्रकार दीप जलाने से उसका प्रकाश चारों ओर फैलता है, उसी प्रकार हमारे भीतर की अच्छाई, ज्ञान और सकारात्मकता को भी हमें समाज और दुनिया में फैलाना चाहिए
दीप प्रज्वलन हमें यह भी सिखाता है कि हमारा जीवन अज्ञानता और नकारात्मकता के अंधकार से भरा हो सकता है, लेकिन जब हम ज्ञान और सकारात्मकता की लौ जलाते हैं, तो हमारा जीवन प्रकाशित हो जाता है, ये दीप प्रज्वलन हमें सिख देता है की हमें भीतर और बाहर दोनों जगह प्रकाश फैलाने की आवश्यकता है.
मन को लुभाने वाले हर तरफ ये उजाले हैं
बहती हवा के बीच ये किसने संभाले हैं
है कोई जो खुशियों की सौगात देता हैं
उसी के दम से तो मिटे अँधेरे काले है
दोस्तों हमारा हिन्दू धर्म बहुत ही विस्तृत है, और जब भी कोई कार्य शुरू करना हो तो धार्मिक दृष्टिकोण से भी हम दीप जलाते हैं, दीप जलाकर हम इश्वर से अपने कार्य को सफल करने की प्रार्थना करते हैं.
जब हम दीप जलाते हैं, तो यह हमें हमारे समाज, परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर काम करने और सभी के साथ समृद्धि बांटने का संदेश देता है। यह परंपरा हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती है और हमें यह याद दिलाती है कि हम सभी एक ही संस्कृति और परंपरा का हिस्सा हैं, ये सब बातें इन बच्चो को भी ज्ञात होनी चाहिए और यही मकसद है इसलिए मैं बारबार विस्तार से हर बात बता रहा हूँ.
हम हमारे गौरवशाली इतिहास को अपनी संतानों के साथ जब तक साझा नहीं करेंगे वो कैसे जानेंगे इसे, आज के दौर में, दीप प्रज्वलन का एक और महत्वपूर्ण पहलू है समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी। जब हम दीप जलाते हैं, तो हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने समाज में अच्छाई और सच्चाई का प्रकाश फैलाएँगे। यह दीप हमें यह सिखाता है कि चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें समाज के उत्थान के लिए काम करते रहना चाहिए और दूसरों के जीवन में प्रकाश लाने का प्रयास करना चाहिए.
ये भारत भूमि तपोभूमि है, हमको इसपे नाज हैं
सदियों से इस धरती पर, भारत ही सरताज हैं
और अब इस प्रोग्राम को हम आगे बढाते है.
(इसके बाद आप अगले कार्यक्रम की घोषणा कर सकते हैं या सांस्कृतिक प्रस्तुति की ओर बढ़ सकते हैं।)
दिवाली पर कविता, शायरी
और अब आज के इस खास अवसर पर, मैं एक ऐसी सुंदर कविता और शायरी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, जो इस पर्व की भावनाओं को और भी रंगीन बना देगी।
दीपो का ये पर्व महान, कहता आओ हम मिल जाए
जैसे दीपो की कतारें, आओ हम भी एक हो जाए
दीप जले तो मिटे अँधेरा, हो उजाला चारो और
हर आँख में हो चमक, खुशियों का न हो छोर
आओ मनाए साथ दिवाली, उंच नीच को हम मिटाए
(कविता समाप्त होते ही आप दर्शकों से तालियों की अपेक्षा कर सकते हैं, जो माहौल को और भी जीवंत बना देगा।)
रोशनी से सज गई है रात,
हर ओर है दीपों की बारात।
सपनों में भी अब आया उजाला,
क्योंकि दिवाली लाई है नई सौगात
चमकते दीयों की ये रोशनी,
दिलों को जोड़ दे प्यार की डोर।
खुशियों की जगमग हो चारों ओर,
आओ सब मिलकर मनाएं यह त्यौहार।
एक छोटे से विराम के साथ दर्शकों से तालियां बजाने का आग्रह कर सकते हैं
दोस्तों, त्योहार का असली मजा तब है जब हम अपनी भावनाओं को खुलकर प्रकट करें। कविता और शायरी न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि वे हमारे भीतर की भावनाओं को भी उजागर करती हैं। यह शब्दों का खेल नहीं, बल्कि हमारे दिल से निकलने वाले वो भाव हैं, जो हमारे त्योहार को और भी मधुर और सार्थक बना देते हैं।
(अब आप अगले कार्यक्रम या सांस्कृतिक प्रस्तुति की घोषणा कर सकते हैं, जैसे कि नृत्य या संगीत की प्रस्तुति।)
दिवाली पर सांस्कृतिक कार्यक्रम
दिवाली का यह पावन पर्व पारंपरिक धरोहर से भरा हुआ है, और अब समय आ गया है इस शाम को और भी रंगीन और यादगार बनाने का। अब हम लेकर आ रहे हैं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक कतार, जो इस शाम को और भी खास बनाएगी। इस कार्यक्रम के माध्यम से हम आपको नृत्य, संगीत और नाट्य कलाओं के अद्भुत संगम से रूबरू कराएंगे। हर प्रस्तुति में हमारी संस्कृति की झलक होगी, जो आपको भाव-विभोर कर देगी।
नृत्य, संगीत और नाट्य प्रस्तुति की घोषणा
इस सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत हम नृत्य की उस कला से करेंगे, जो भारत के विभिन्न रंगों और परंपराओं को एक साथ पिरोए हुए है। हमारे पहले प्रस्तुति में आप देखेंगे (नृत्य समूह/शैली का नाम लें), जो हमारी भारतीय संस्कृति के अद्वितीय धरोहर को मंच पर लाने वाले हैं। यह नृत्य केवल आनंद का माध्यम नहीं है, बल्कि इसमें गहरे भाव और संदेश भी छिपे होते हैं। जैसे-जैसे संगीत की ताल पर नृत्य होगा, आपको महसूस होगा कि दिवाली का यह पर्व किस तरह से हमारे जीवन में नए रंग और उमंग लेकर आता है
संगीत आत्मा की भाषा होती है, और आज इस मंच पर आप एक ऐसी संगीतमय प्रस्तुति देखेंगे, जो आपके दिलों को छू जाएगी। हमारे कलाकारों ने इस प्रस्तुति के लिए कड़ी मेहनत की है, अब, इससे पहले कि हम आपको इस अद्भुत सांस्कृतिक यात्रा पर ले चलें, मैं आपको हमारे प्रतिभाशाली कलाकारों से मिलवाना चाहूंगा
- (कलाकार का नाम लें – नृत्य समूह/व्यक्ति):
यह समूह/कलाकार (क्षेत्र/शैली का नाम लें) में अपनी विशेष पहचान बना चुका है। इन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन किया है। आज आप इन्हें (नृत्य शैली) प्रस्तुत करते हुए देखेंगे, जो हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है। - (कलाकार का नाम लें – संगीत समूह/व्यक्ति):
हमारे दूसरे कलाकार (कलाकार का नाम लें) हैं, जिन्होंने संगीत की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है। इन्होंने न केवल शास्त्रीय संगीत बल्कि आधुनिक धुनों में भी अपनी कला का लोहा मनवाया है। इनकी प्रस्तुति आपको संगीत की उस ऊंचाई पर ले जाएगी, जहां शब्दों की आवश्यकता नहीं होती, केवल संगीत ही आपके दिलों तक पहुंचता है। - (कलाकार का नाम लें – नाटक समूह/व्यक्ति):
हमारे तीसरे कलाकार (या नाटक समूह) मंच पर एक छोटी नाट्य प्रस्तुति देंगे, जिसमें दिवाली के त्योहार से जुड़ा एक महत्वपूर्ण संदेश छिपा होगा। इस नाटक के माध्यम से हम सामाजिक जागरूकता और एकता का संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं। इस नाट्य प्रस्तुति में हास्य, भावुकता और संदेश तीनों का अनूठा संगम होगा, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगा।
मैं आप सभी दर्शकों से निवेदन करता हूँ कि आप पूरी तन्मयता से इस सांस्कृतिक प्रस्तुति का आनंद लें और अपने तालियों के साथ कलाकारों का उत्साहवर्धन करें। क्योंकि एक कलाकार के लिए सबसे बड़ी सराहना वही होती है, जब उसका प्रदर्शन दर्शकों के दिलों को छू जाए। आपकी एक ताली उनके लिए इस मंच पर सबसे बड़ी सफलता होगी।
(सभी कलाकारों की प्रस्तुतियों के बाद अब आप मंच से अगली प्रस्तुति की घोषणा कर सकते हैं, और प्रस्तुति के दौरान, हल्का संगीत बजता रह सकता है। हर प्रस्तुति के बाद, आप ताली बजाने के लिए दर्शकों से आग्रह कर सकते हैं और कलाकारों का धन्यवाद कर सकते हैं।)
अब हम उस स्थान पर आ गए है जहां पर आप सभी को भी इस में भाग लेना होगा क्योकि हमने आपके लिए भी कुछ सोच रखा है.
दिवाली पर खेल या प्रतियोगिताएं
प्रिय दर्शकों और सम्मानित अतिथियों, आज हम आपको लेकर आए हैं कुछ दिलचस्प और मजेदार प्रतियोगिताएँ, जो इस दिवाली को और भी खास बनाएंगी, इसीलिए, हमने कुछ छोटे खेलों और प्रतियोगिताओं की योजना बनाई है, जो न केवल मनोरंजक होंगी, बल्कि हमें एकजुट भी करेंगी।