Top 3 26 जनवरी पर भाषण | संविधान भाषण 26 January Speech

दोस्तों आपके लिए टॉप 3 26 January स्पीच भाषण लेकर आया हूँ अगर आपको पसंद आए तो कमेंट में जय हिन्द जरुर लिखना, ताकि हमारा हौसला बढे और हम आपके लिए और भाषण लेकर आते रहें.

शिक्षक के लिए 26 जनवरी भाषण

ये चमन खिल रहा हैं, ये गगन खिल रहा हैं
आसमान की उंचाई से, तिरंगा मिल रहा हैं

ये अद्भुत संगम आज के दिन देखना हमें नसीब हो रहा हैं क्योकि इस दिन को पाने के लिए जो सर उठे थे उन्हें सदा के लिए मिटाया गया, लेकिन हमारी कोशिशे लगातार होती रही और एक दिन झुकना पड़ा उन्हें, इसलिए कहता हूँ बच्चो की जिंदगी में कभी किसी चीज की उम्मीद मत छोड़ना, जब तक आप लगातार प्रयास नहीं करोगे तब तक मंजिल पाना मुश्किल होता हैं

कठिनाइयां तो जीवन का हिस्सा हैं
इन्हें मुस्कुरा के दोस्त बनाया जाए
हासिल क्या करना हैं जिंदगी में
सब भूल ध्यान वहा लगाया जाए

तो कैसे मुमकिन नहीं हो सकता आपका सपना, साकार होने में देर जरुर लग सकती हैं मगर आप वो पाएंगे जो आप चाहेंगे, क्योकि चाह में राह होती हैं

गुजरें हैं जिन राहों से वो
आओ हम भी चल के देखें
क्या जोश, जज्बा, उम्मीद थी
हम भी आजमाकर देखें

हमारे शहीदों को नमन करते हुए उनके कार्य को सराहता हूँ, उन्होंने मातृभूमि के लिए अपना योगदान दिया और देश को ही सर्वोपरि माना तो हम क्यों अपनी उलझनों में उलझे हैं, हमारा भी कर्तव्य हैं की हम भी उनके पदचिन्हों पे चले, देश के लिए कुछ करें.

वतन के नाम की दिल में, चाह जगाके देखो
महक उठोगे मन में, आग ये लगा के देखो
कहने को तो सभी देशभक्त, और देशप्रेमी हैं
हैं सच्चाई गर तो थोडा, वक्त लगाकर देखों

26 जनवरी पर संविधान भाषण

आज 26 जनवरी पे ये संविधान भाषण आपके सामने रख रहा हूँ, कुछ अलग अनूठा हैं आपको जरुर पसंद आएगा.

महकते हुए फूल चमन में कम ही खिलते हैं
परोपकारी लोग जहाँ में कम ही मिलते हैं
बेईमानी के रास्ते चलना आसान हैं मगर
सच्चाई की राह पे कुछ ही लोग ही चलते हैं

और उसी सच्चाई और कठिन डगर पे चलने वाले एक महान व्यक्ति थे डॉ. बाबा साहेब आम्बेडकर, जिन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया मगर देश के लिए अपना श्रेष्ठ योगदान दिया

लिख डाला इतिहास अपना, नाम अमर वो कर गए
भारत का संविधान बना, न्याय व्यवस्था कर गए
थे वो भारत माँ के लाल, भारत के हित का ही सोचा
संकल्प लिया वो कर पूरा, आसान डगर वो कर गए

संविधान लिखना इतना आसान नहीं था, कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, हर वर्ग और धर्म के बारे में सोचना था, किसी के हित का अहित न हो ये सोचना था, और इस कार्य को जब पूरा किया गया और २६ जनवरी के दिन संविधान को लागू किया गया तब चैन की सांस ले पाए.

लिख डाला संविधान हमारा, नहीं किसी से बैर किया
हर जाती हर धर्म बराबर, नहीं कोई भेदभाव किया
उंच नीच न अमीर गरीब, सबके लिए समान न्याय
हर पलड़े को रख सरीखा, सबसे ही था प्यार किया

उस महान विभूति के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करते हुए आज के दिन की बधाई देता हूँ, जय हिन्द वन्दे मातरम

26 जनवरी पर रोंगटे खड़े करने वाला भाषण

आज ख़ुशी का दिन हैं क्योकि पहले बहुत गम झेले हैं, मेरे देश के वीरों ने अपने प्राण गँवा कर ये आजादी हमें दी, हम खुश हैं सुखी है क्योकि उन्होंने हमारे लिए कष्ट उठाए, तो कैसे भुला सकते हैं हम उन्हें जिन्होंने देश की राह में आजादी के लिए अपनी जान दी, क्या उनके घर नही थे, क्या उनके परिवार नहीं थे, क्या भाई, बहन, बीवी, बच्चे और बूढ़े माँ बाप, लेकिन उन्होंने एक घर के तबाह होने की फ़िक्र नहीं की, उन्हें पता था की मेरा बलिदान बेकार नहीं जाएगा, ये चिंगारी आग बनकर तूफ़ान उठाएगी, जिसकी जद में अंग्रेजी हुकूमत के परखच्चे उड़ जाएंगे.

बिना चोट खाए पहाड़ नहीं चढ़ा जाता
बिना रक्त के इतिहास नहीं पढ़ा जाता
हो जाते है कई हादसे इस राह में यारों
बिना दर्द के शाहकार नहीं गढ़ा जाता

मुझे याद आता हैं तो भृकुटी तन जाती हैं, दो पल के लिए मेरी साँस थम जाती हैं, क्या दिन थे वो जब गोरो ने हमारे जांबाजो पे अत्याचार किए, कही फाँसी के फंदे को गले में डाला गया, कहीं खौलते पानी में उबाला गया, वो इंसान नहीं हैवान थे जिन्होंने हैवानियत की सारी हदे पार कर ली थी, और जब जुल्म हद से ज्यादा बढ़ता है, तो उपरवाला न्याय का पन्ना लिखता हैं.

अबलाओ की वो चीत्कार जब कानो में गूंजती हैं तो लगता है की जिन्दा होने से अच्छा है की कुछ कर गुजरे, इस देश के लिए वतन के लिए मातृभूमि के लिए, और यही जज्बा और जूनून तो मेरे उन भाइयो में था इसलिए ये देश आजाद हुआ, घर में बैठ के शांतिदूत बनने से कहाँ हुकुमत पलटती हैं, उसके लिए सुभाष चन्द्र बोस और भगत सिंह बनना पड़ता हैं.

कौन कहता है की आजादी के लिए हमने कुछ खोया नहीं, हमने खोया हैं अपना सुख चैन, अपनी नींद, अपना आराम, अपना धन और अपनी जान, तब जाके ये अनमोल आजादी हमने पाई हैं, इस खोने मत देना, कुछ भी हो जाए मगर ये खजाना लुटने मत देना, ये हमारी मिल्कियत हैं, ये हमारी धरोहर हैं, ये हमारी मातृभूमि हैं इसे खोने मत देना, और फिर से भारत के किसी जन को रोने मत देना.

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