Last updated on January 24th, 2025 at 01:49 am
सभी को आज के दिन की हार्दिक शुभकामनाए और इस दिन पर आप सभी के सामने एक कविता पेश करने जा रहा हूँ, अंदाज अलग हैं जुदा है आपको पसंद आएगा की,
26 January देशभक्ति शायरी
देशभक्ति शायरी झुकेगा नहीं साला
मैं दुश्मनों से लडूंगा, जान खतरे में डाल के
जय हिन्द कहता रहूँगा मैं, तिरंगा उछाल के
घाव कितने भी हो मैं, हंस के सह जाऊँगा
मगर गद्दारों के आगे, मैं झुकेगा नहीं साला
जब तक तन में जान हैं, मैं गीत वतन के गाऊंगा
फ़ना होने पर माँ भारती की, गोद में समा जाऊँगा
आन वतन की मेरी शान, इसपे संकट कोई आए
टुकड़े टुकड़े हो जाऊं पर, मैं झुकेगा नहीं साला
देश के दुश्मन होश में आओ, जवान देश का जागा हैं
कर गुजरेगा कुछ भी वो, अभी लहू उबलता ताजा हैं
अपने पर जो वो आया तो, रुकेगा नहीं माँ का लाला
शेर है सब हम भारत के अब , हम झुकेगा नहीं साला
देशभक्ति शायरी 26 जनवरी स्कूल के लिए
स्कूल में आप 26 जनवरी को ये शायरी अपने भाषण में अगर शामिल करते है, तो आपके भाषण में और भी निखार आएगा
सरहद पे खड़े जवानों को, मैं सलाम देता हूँ
आज पुरे हिन्दुस्तान को मैं, ये पैगाम देता हूँ
इस देश में जो भी रहता हैं, कोई इंसान उस
हर भारतवासी को मैं, हिंदुस्तानी नाम देता हूँ
ऐसी लाजवाब और जोशीली जबरदस्त शायरी बोलने से जो तालियों का शोर और वन्दे मातरम के नारों का शोर होगा वो, आपको और भी ज्यादा उत्साहित कर देगा
ये तिरंगा लहरा रहा, वो मेरे हिन्द का हैं
करके सलाम इसको, मैं प्रणाम कहता हूँ
मैं जन्मा यही पला यही, मरूँगा भी मैं यही
मैं इस धरती को अपनी, जिंदगी तमाम कहता हूँ
और हमारी संस्कृति और भारत की सभ्यता के साथ मैं हमेशा ही हर मिलने वाले से ऐसे मिलता हूँ
हर मिलने वाले से मैं, उसका हाल पूछता हूँ
हाथ जोड़ सम्मान से मैं, राम राम कहता हूँ
अगर मिले अल्लाह का बंदा, सलाम कहता हूँ
इसी भारत की संस्कृति को, अपनी शान कहता हूँ
कर के चौड़ा सीना अपना, बड़े गर्व से कहते हैं
हम भारत के हैं निवासी, हम भारत में रहते हैं
तपोभूमि ऋषियों की, देवो ने जहाँ जन्म लिया
हैं माटी ये मेरे देश की, जिसको चंदन कहते हैं
स्नेह भरा मन में हमारे, ओछी बात नहीं करते
प्रेम समर्पण हैं संस्कृति, नीची बात नहीं करते
घर अपना गर जले पर, दूजे का घर बचाते हैं
सनातनी के वंशज हैं, नीची औकात नहीं करते
आहुति सपनो की देके, आजादी को पाया हैं
हमने प्यार से हर गम, सीने से लगाया हैं
बढ़ा दिया जो हाथ तो, दोस्ती को निभाया हैं
मिटने नहीं देंगे भारत, नाजो से सजाया हैं
हार हमें मंजूर मगर, धोखा स्वीकार नहीं करते
कहदो किसी के बाप को, हम किसीसे नहीं डरते
हम भारत के लिए जीते, भारत पर ही मरते हैं
माँ भारती के सिवा, सर किसीके आगे नहीं धरते
शहीदों की याद देशभक्ति शायरी
तकदीर होती हैं वो ही वतन पे फ़ना होते हैं
निडर, बैखौफ, बेबाक, वो नौजवाँ होते हैं
हाँ दोस्तों देशभक्तों की याद में ये शायरी आपके लिए लाया हूँ जो मंच पर बोलेंगे तो जोश से भरपूर तालियों के साथ शोर उठेगा, आप अपने भाषण में ये शामिल करें की
जिक्र जब भी होगा, तो तेरा ही नाम आएगा
बलिदान तेरा हमेशा, देश के काम आएगा
मिट जाते हैं जो वतन की राह में चलकर
धडकनों से उनका, दिल को पैगाम आएगा
महक रही ये धरती, जिनके लहू से सूरज लाल हैं
भगत सिंह आजाद शेखर, बोस कहीं पे लाल हैं
मरके भी जो नहीं मरे, वो अमर बलिदानी हो गए
थर्राते बस नाम से वो, दुश्मनों का महाकाल हैं
रिचार्ज देशभक्ति शायरी
जज्बातों की कमी हो रही, खुद को थोडा चार्ज करों
टॉपअप देशभक्ति का करलो, देशप्रेम का रिचार्ज करों
नफरत भेदभाव को अपने, मन से अब डिस्चार्ज करों
रहे एकता सद्भावना, लाइफटाइम रिचार्ज करों
बाजारों में देशप्रेम का, गर रिचार्ज मिला करता
गद्दारों को घूँट घूँट कर, मैं भी रोज दिया करता
राष्ट्रभक्ति और देशप्रेम से, उनकी रग रग भर देता
टॉपअप नहीं लाइफटाइम, का रिचार्ज किया करता
26 जनवरी बाबा साहेब शायरी
जुल्म हद से बढ़ जाता
अगर न्याय का प्रावधान नहीं होता
अराजकता बढ़ जाती
अगर हमारा संविधान नहीं होता
न्याय के देवता, सर्व्हीताकारी थे
अन्याय के पलड़े पे, सदा भारी थे
समझते थे दुसरे का दुःख दर्द वो
इंसान बड़े ही वो परोपकारी थे
सबसे बड़ा संविधान हमारा हैं
बाबा साहेब ने प्यार से संवारा हैं
न किसी का अहित न भेदभाव
अपने गुणों से इसे निखारा हैं
26 जनवरी पर तिरंगा शायरी
किसी भी देश का प्रतिक होता है उसका ध्वज, उससे ही उसकी शान और आन सदा बनी रहती है, और हमारे तिरंगे के तीन रंगों का तो क्या कहना
तीन रंग का ध्वज नहीं, ये देश की शान हैं
हर भारतवासी कहता, ये हमारी आन हैं
साहस और बलिदान ये, शौर्य का प्रतिक हैं
करो नमन तिरंगे को, हमारा अभिमान हैं
लहू शहीदों का मिला, विजय पताका लहराई
दी कुर्बानी वीरों ने, तब स्तुति हमने गाई
काम नहीं किसी कायर का, शेर दिल खेल गए
लहराया तिरंगा था हमने, जब आजादी थी पाई
26 जनवरी देशभक्ति कविता
बिना एकता के हम कुछ नहीं कर सकते, हम आजादी की लड़ाई जीते क्योकि हम एक थे, उसी गौरवगाथा की कुछ पंक्तियाँ सुनाता हूँ की
किस्मत का वो खेल नहीं था
लड़ी जंग तलवारों से
सौ सौ गोली खा सीने पर
डरे नहीं गद्दारों से
भारत का इतिहास अमर हैं
गौरवशाली कहानी हैं
राणा शिवा और भगत शेखर
देशप्रेम की निशानी हैं
जैसे तारे अनगिनत हैं
वैसे वीर शहीद हुए
आजादी की चिंगारी में
जलके वो उम्मीद हुए
नहीं बचाया जा सकता था
कोरी बातों से देश को
घर घर से निकली सेना फिर
मान बोस के आदेश को
डोल उठी गोरो की ताकत
हिम्मत सारी टूट गई
आँधी तूफ़ान सैलाब जैसे
सारी जनता छुट गई
जान गँवा शहीद हुए पर
देश की आन बचाई थी
जब तलक थी एक साँस भी
देश के नाम लगाईं थी
तब जाके आजाद हुए
खैरात नहीं पाई हमने
आजादी की गौरवगाथा
तुमको आज सुनाई हमने
भूल न जाना मत बिसराना
रग रग इसको बसाना हैं
एक नए युग में मिलके
हमें भारत नया बनाना हैं
26 जनवरी सरहद शायरी कविता
एक शायरी से शुरुआत करके कविता तक पहुंचूंगा
छू के गुजरती है मौत उनको
तो मौत भी थर्रा जाती हैं
सरहद पे खड़े हैं जवान जब तो
हमें खुशियाँ मिल पाती हैं
सुबह सवेरे सबसे पहले आओ वंदन हम करें
सरहद पर जब वो खड़े कैसे किसीसे हम डरे
अपनी जान रख हथेली पर वो रक्षा करते हैं
बम बंदुको से यारों बच्चो से खेला करते हैं
काँपे थर थर दुश्मन गर्जन शेर सी जब करें
सरहद पर जब वो खड़े कैसे किसीसे हम डरे
सुबह सवेरे सबसे पहले आओ वंदन हम करें
वो ही अपने सगे संबंधी, वो भ्राता वो तात हैं
पिता सरीखे वो लगते, ममता में वो मात हैं
रिश्तेदारी उनसे घर सी, नई एक शुरुआत करें
सरहद पर जब वो खड़े कैसे किसीसे हम डरे
सुबह सवेरे सबसे पहले आओ वंदन हम करें
ये धरती हैं हम सबकी, हम इसके वारिसदार हैं
पड़े जरुरत अगर कभी, हम लड़ने को तैयार हैं
मत पूछो इस दिल से, कितना तुमसे प्यार करें
सरहद पर जब वो खड़े कैसे किसीसे हम डरे
सुबह सवेरे सबसे पहले आओ वंदन हम करें